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एक फैसला अमेरिकी अदालत का

rastogikb
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साल भर पहले की बात है जब रजत गुप्ता जो कि अमेरिका मे बहुत ही हाई प्रोफाइल स्टेटस के प्रभावशाली व्यक्ति हैं, को न्यूयार्क की पुलिस ने breach of trust के आरोप मे गिरफ्तार किया था. आरोप था कि उन्होने गोल्डमैन सॉक्स की गुप्त सूचनाओं को हेज फंड संस्थापक राज राजारत्नम के पास पहुँचाई . न्यूयार्क की अदालत ने उन्हे शायद 5 लाख डालर के भुगतान करने पर जमानत दे दी थी. उस समय संचार मंत्री ए. राजा 2 जी स्केम मे और सुरेश कलमाड़ी कामन वेल्थ गेम्स घोटाले मे न्यायिक हिरासत मे जेल मे थे रजत गुप्ता को जमानत दिये जाने की खबर के उपर केन्द्र सरकार मे मंत्री सलमान खुर्शीद और कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह के अखवार मे कमेंट्स छपे थे. अमेरिका की अदालत के फैसले की वाह वाही करते हुए यहाँ की न्याय प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा था कि यहाँ भी इस तरह से इन लोगो को जेल ना भेज कर जमानत दे देनी चाहिये थी. हाँलाकि कुछ दिनो बाद ही इन लोगो को जमानत मिल भी गयी.
अब जब की साल भर मे ही वहां की अदालत का फैसला आ गया, जिसमे रजत गुप्ता को 2 साल की सजा और 50 लाख डालर के जुर्माने की सजा दी गयी. देखा जाय तो हिन्दुस्तान मे तो शायद ही इसे इतना बड़ा अपराधिक जुर्म माना जाता और इतने प्रभावशाली व्यक्ति को सजा मिलती. परंतु अमेरिका मे साल भर मे ही नतीजा सबके सामने आ गया.
प्रश्न उठता है क्या हिन्दुस्तान मे ब्रीच ऑफ ट्रस्ट पर इतने प्रभावशाली व्यक्ति को सजा मिल सकती है.
अब कोई मंत्री या महासचिव यह नही कह रहा है कि यहाँ भी अमेरिकी अदालत की तरह ए. राजा, सुरेश कलमाड़ी के भी केस का फैसला होना चाहिये.
उस समय इन लोगो को जेल से बाहर निकलवाना चाहते थे इसलिये अमेरिकी अदालतो की तरफदारी की जा रही थी पर अब कोई भी नही बोल रहा है.
मै तो कहता हूँ कोई लोकपाल की जरूरत नही पड़ेगी अगर साल भर के अंदर -अंदर हर तरह् के मुकदमे का फैसला हो जाय पर दुर्भाग्य यह है कि ऐसा हो नही पा रहा है इसलिये ही रोज नये-नये घपले और घोटाले होते जा रहे हैं.

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