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डेंगू से बचाव और इलाज
कुछ समय पहले तक तो लोग डेंगू नाम की बीमारी को जानते तक ना थे पर हाल के कुछ वर्षो मे यह बीमारी दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी हो चली है. हर साल कई लोगो को मौत की नींद सुला चुकी है.
सबसे बड़ी बात यह है कि इस बीमारी के बाद भी यह शरीर को बुरी तरह से तोड कर रख देती है. हाथ पैरो मे सूजन सुजन होना उनका ऐठना और कमजोरी बनी ही रहती है.
यहाँ डेंगू से बचने और डेंगू होने पर कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियो के बारे मे बता रहा हूँ. डेंगू से बचने के किये इनको अमल मे लाना चाहिये. डेंगू मे पपीते के पत्ते का रस, बकरी का दूध, गिलोय का काढ़ा और एलोबेरा/घ्रत कुमारी या ग्वार पाठा का सेवन बहुत लाभकारी होता है.
गिलोय: यह एक तरह की बेल होती है .जो की उत्तर भारत मे बहुतायत लगी होती है. इसकी बेल की लकड़ी परचून, किराने की दुकान मे मिल जाती है. इसको पानी मे खूब उबाल कर एक- दो चम्मच प्रतिदिन आजकल पीना चाहिये.
घ्रत कुमारी, ग्वार पाठा. एलोबेरा: इसके उपर के छिलके को निकाल कर अंदर के गूदे को नियमत सेवन करना चाहिये.
डेंगू होने पर निम्नलिखित उपाय करना चाहिये. डेंगू के मरीज को बहुत जल्द फायदा पहुंचता है.
पपीता : पपीते के पत्ते का रस दिन मे दो- तीन बार डेंगू ग्रस्त मरीज को पिलाना चाहिये. इसका रस कड़वा होता है. परन्तु फायदा बहुत करता है. कड़वे मर्ज़ की दवा तो कड़वी ही होती है.
बकरी का दूध: डेंगू ग्रस्त मरीज को बकरी का दूध नियमित देना चाहिये.
इसी तरह से घ्रत कुमारी, ग्वार पाठा, एलोबेरा के गूदे को निकाल कर दिन मे दो-तीन बार सेवन करने से ब्लड प्लाज्मा तेजी से बढते हैं.
गिलोय की बेल की लकड़ी का काढ़ा बना कर दिन मे दो – तीन बार पिलाना चाहिये.
आजकल डाक्टर भी इन्ही चीजो पर ज्यादा विश्वास कर के मरीज को अपनी दवाईयो के साथ –साथ इनका सेवन करने की सलाह देते हैं. अगर कोई उपरोक्त चीजो का प्रयोग करता है तो उसे निश्चित फायदा होता है.
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