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क्या बजट का अर्थ हर साल कुछ नये टैक्स लगाना है

rastogikb
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पिछले कितने ही सालो से मै देखता आया हूँ हर साल एक नया बजट आता है और कुछ एक नये टैक्स लग जाते हैं। नौकरशाह पूरे साल बजट की तैयारी  करते रहते हैं। दिमाग लगाते  रहते हैं कि किस तरह से पब्लिक की जेब हल्की  की जाये। और फिर नये – नये तरह के टैक्स थोप दिए जाते हैं। 1994 से पहले सर्विस टैक्स नाम का कोई टैक्स नहीं होता था। नौकरशाहों ने देखा विदेशो में इस तरह का टैक्स लगता है। सोंचा हम भी  लगाते हैं। 1994 से एक नया टैक्स, सर्विस टैक्स के नाम से लगा दिया गया। उस समय केवल 5 प्रतिशत ही देना होता था। फिर धीरे – धीरे बढ़ाते हुए आज 12.36% ले रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कुछ एक ऐसी सेवाओ पर सर्विस टैक्स लिया जा रहा है जिस पर नहीं लिया जाना चाहिए। जैसे कि कार्मिशियल प्रोपर्टी पर। अब एक आदमी के पास अपनी दूकान या फैक्ट्री नहीं है और व्यापार करना चाहता है तब उसे किराया तो देना ही है पर उस पर टैक्स भी सरकार वसूल रही है। केंद्र की सरकार 12.36% टैक्स वसूल रही है उसके बाद राज्य सरकार 8 से 10 परसेंट स्टाम्प फी भी वसूलती है।
अरे वह तो पहले से ही इस लायक नहीं है की अपनी दूकान या फैक्ट्री खरीद कर रोजी -रोटी की जुगाड़ कर सके और ऊपर से इन्हें उस पर भी टैक्स चाहिए।  ऐसे ही हर साल कुछ नए – नए टैक्स वसूलने के जरिये अपनी कमाई बढ़ाने  के ढूंढे  जाते हैं ।

बात यह नहीं है कि आप टैक्स क्यों वसूल रहे हैं बात है क्या जनता की गाढ़े  कमाई का  यह  पैसा समाज के, देश के  निर्माण पर उचित ढंग से खर्च  भी किया जा रहा है या नहीं। जनता की   मेहनत- मशक्कत का पैसा है उसका सही उपयोग हो तो ख़ुशी होती है पर जब उसी पैसे की  फ़िजुलखर्जी  होती है तब दुःख होता है।

देखता हूँ कभी हमारे पैसे को सौन्दर्यीकरण के नाम पर तो कभी अल्पसंख्यक  तुष्टिकरण के नाम पर तो कभी खेलो के नाम पर और तरह -तरह के अनुदानों पर खर्च किया जाता है। पढ़ा था कामन वेल्थ गेम्स में ए , आर . रहमान ने गेम्स के लिए जो धुन बनाई थी उसके लिए उन्हें 5.50 करोड़ रूपये दिए गए थे। क्या किसी को आज याद   है उन्होंने ने क्या धुन बनाई  थी? जबकि दूरदर्शन  की प्रसिद्द धुन ” मिले सुर मेरा तुम्हारा ” आज भी उतनी ही ताजगी देने वाली है। इतने सारे कलाकारों को मिला कर बने गई यह धुन अब भी मंत्रमुग्ध करती है। मुझे नहीं लगता कि दूरदर्शन ने कोई बड़ी रकम खर्च की होगी।

ऐसे ही अभी कुछ दिन पहले पढ़ा था कि” नया रायपुर में एक नवंबर को आयोजित समारोह में करीना का डांस  भी आयोजित किया गया था। करीना ने इस शो में सिर्फ 8 मिनट का डांस किया था। इसके लिए करीना को 1 करोड 40 लाख 71 हजार रूपए का भुगतान किया गया।
सार्वजनिक निर्माण मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल ने लिखित में जानकारी दी कि समारोह में कुल 245 कलाकारों ने प्रस्तुति दी थी। 1 से 7 नवंबर तक चले इस समारोह में 245 कलाकारों पर 5 करोड 21 लाख 22 हजार 500 रूपए खर्च हुए। अग्रवाल ने हर कलाकार को दिए गए मेहनताने की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि करीना के अलावा गायक सोनू निगम को 36 लाख 50 हजार, गायिका सुनिधी चौहान को 32 लाख, अभिनेत्री दीया मिर्जा को 22 लाख, गायक हिमेश रेशमिया को 24 लाख, गजल गायक पंकज उधास को 90 हजार रूपए दिए गए।

कुछ इसी तरह के खर्चो के बारे में छपी खबरे  पढ़े

“अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च से उत्पन्न विवाद के बावजूद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा अपने कार्यकाल के खत्म होने के ठीक पहले की गई अपनी अंतिम विदेश यात्रा पर करीब 18.08 करोड रुपये खर्च आया. यह आधिकारिक जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मिली है.

पिछले साल यह खुलासा हुआ कि प्रतिभा पाटिल के पांच साल के कार्यकाल के दौरान 22 देशों की उनकी 12 विदेश यात्राओं पर 205 करोड रुपये खर्च आये. इसमें दक्षिण अफ्रीका और सेसेल्स की यात्रा का खर्च शामिल नहीं था”

“टाइम्स न्यूज नेटवर्क | May 22, 2012, 08.52AM IST यूपीए सरकार दावे मितव्ययता करती है, लेकिन सामने आ रहीं जानकारियां इसकी पोल खोल रही हैं। प्रजिडेंट प्रतिभा पाटिल की विदेश यात्राओं पर पहले से ही सवाल उठ रहे थे, अब लोकसभा की स्पीकर मीरा कुमार ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। अपने 35 महीने के कार्यकाल में मीरा कुमार 29 बार विदेश जा चुकी हैं। इस तरह वह हर 37 दिन पर विदेश गईं।“

यह सब क्या है ? हमसे टैक्स के रूप में वसूले गए पैसे का इसतरह  खर्च किया जा रहा है। क्या यह गलत नहीं है।

अब मै  फिर लौट कर मूल मुद्दे पर आता हूँ कि सरकार ने 1000 करोड़ का प्रावधान महिला बैंक के लिए इस बार किया है। समझ में नहीं आया महिलायों के लिए अलग से बैंक बना कर आप क्या हासिल करना चाहते हैं। आजकल तो प्राइवेट बैंक इतने सारे खुल गए हैं और इतनी बेहतर उनकी सर्विस है कि वहां पर जाने की भी जरुरत बहुत कम ही पड़ती है।

2008 के बजट में सरकार ने किसानो के कर्ज माफ़ करने के लिए आप  52000/- बाबन हजार करोड़ रूपये खर्च करने का एलान किया। यह पैसा भी तो सरकार हमसे टैक्स के रूप में वसूल कर रही है।

सब बातों की एक बात है अगर सरकार किफ़ायत से चले, टैक्स के  पैसे का सही सदुपयोग करे तो शायद सरकार को हर साल इतने टैक्स लगाने की जरुरत न पडे और जनता की भी जेब इतनी खाली  न हो पर किसको दूसरे  के पैसे का दर्द।

बचपन से एक कहावत सुनते आया हूँ ” कमाई आप की है या बाप की”

जब बाप की कमाई खर्च करने में बेटो को दर्द नहीं होता है फिर आम जनता की टैक्स की कमाई को खर्च करने में सरकार कोकाहे का दर्द।

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